Lalpania a small village having a lot of picturesque scenes, in the lap of famous Lugu hill series (The second highest hill series of jharkhand) and surrounded with Jharkhand’s famous river Damodar, small hilly rivers Katail and Sadabahar , situated in the north side of Tenughat Dam. Now Lapania possesses Jharkhand’s pride 2x210 MW Tenughat Thermal Power Station in her lap making it a beautiful township.
Tuesday, May 31, 2011
Wednesday, May 18, 2011
मेहनत बनाम कामचोरी
एक पुरानी प्रसिद्ध कहानी :-
एक चीटी एक टिड्डे की कहानी विश्वस्तरीय लोकप्रिय कहानियों मे से एक है।
चीटीं बहुत मेहनती थी, वह हमेशा अपने काम मे लगी रहती थी, जब कि टिड्डा दिन भर मस्ती करता रहता था। चीटी अक्सर उसे समझाती की हमेशा मौज मस्ती मे डुबे रहना अच्छा नही है। कुछ ही दिनों के बाद सर्दियों का मौसम आने बाला था। चीटी अथक मेहनत कर सर्दियों के आने से पहले एक घर बना लेना चाह रही थी और पर्याप्त भोजन जमा कर रख लेना चाह रही थी, इसके विपरीत टिड्डा आने वालीसर्दी के मौसम से बेखबर दिन भर मौज मस्ती मे लगा रहा।
कुछ दिनों के बाद सर्दी आ गयी , चीटीं अपने घर मे निश्चिंत आराम कर रही थी पर टिड्डा बाहर जाड़े मे ठिठुरते हुए भुख से व्याकुल होकर मर गया।
इसी कहानी को हम आज के भारतीय परिपेक्ष मे देखें:-
सर्दी के मौसम आते ही टिड्डा ठंड से कांप रहा था। उसे एक आईडिया सुझा , उसने एक प्रेस कांफ्रेंस बुलाया और अपने आपको ठंड से ठिठुरते और चींटी को अपने घर में चैन से आराम करते हुए और उसके भोजन सामाग्री से भरे डाईनिंग टेबुल को दिखाया।
BBC, CNN, NDTV, AAJTAK चैनेल वालों ने यह समाचार प्रमुखता टिड्डे को से ठंड से ठिठुरते और चींटी को किसने अपने घर में चैन से आराम करते हुए और उसके भोजन सामाग्री से भरे डाईनिंग टेबुल को दिखाया।
विश्व राष्ट्र संघ , और विश्व स्वास्थ्य संघ यह विचित्र विरोधाभाष देखकर दंग रह गयी। क्यों इस गरीब टिड्डे को इस भयंकर सर्दी में ठंड से ठिठुरते हुए छोड़ दिया गया।
मेघा पाटकर दौड़ी आई और अन्य टिड्डों के साथ आमरण अनसन पर बैठ गयी , “सदियों के मौसम मे टिड्डों को अपेक्षाकृत गर्म स्थान मे रहने और भोजन का उचित प्रबंध किया जाये”।अरुधंती राय चींटी के
घर के सामने प्रदर्शन करने आई,
मायावती ने टिड्डे को दलित मानते हुए इसे उनके साथ घोर अन्याय माना।
Amnesty International and विश्व राष्ट्र संघ के अध्यक्ष Koffi Annan ने भारत सरकार से ,टिड्डे के मौलिक अधिकारों के हनन का मामला उठाया।
इन्टरनेट (INTERNET) के सोशल साईट्स टिड्डे के समर्थन मेbh, vishvऔर विश्व के अनेक देशों से सहानुभूति के साथ साथ मदद का आँफर आने लगा। लोग टिड्डे के प्रति इस अन्याय के लिए ईश्वर को दोष देने लगे।
विरोधी दल के नेता ससंद का वहिष्कार किए, CPM , CPI आदि वाम दलों ने भारत बंद का आह्वान कर दिया।
पश्चिम बंगाल और केरल में CPM ने नया अध्यादेश लाया जिसमे चींटीं को गर्मी के दिनों मे अधिक परिश्रम करने पर रोक लगा दिया गया ताकि वे ज्यादा नहीं कमा सकें और चीटी और टिड्डे के बीच ज्यादा अन्तर न रह जाये।
ममता बनर्जी ने अधिकांश ट्रेनों में एक स्पेशल कोच ”टिड्डा रथ” के नाम से जोड़ा गया जिसमे टिड्डे को मामुली भाड़े पर भारत भ्रमण की सुविधा दी गयी।
अन्त मे भारत सरकार ने द्वारा एक न्यायिक जाँच आयोग की स्थापना की गई जिसने एक नया एक्ट “PREVEN P”Prevention of Terrorism against Tidda Act” POTATA की रुपरेखा बनाकर सरकार को दिया जिसे सर्दियों के मौसम के आने से पहले SEसे ही लागु मान लिया गया।
शिक्षा संस्थाओं मे, माननीय मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल के द्वारा टिड्डों के लिए अतिरिक्त आरक्षण का अनुसंशा किया गया।
भारत सरकार और विभिन्न राज्य सरकारों के द्वारा सरकारी नौकरियों टिड्डों के लिए विशेष आरक्षण की व्य्वस्था किया गया।
सरकार के द्वारा मेहनती चीटी पर POTATA एक्ट के तह्त कई प्रकार के टैक्स गला दिया गया, उसके घर को जब्त कर NDTV आदि मिडिया कर्मियों के सामने ,टिड्डों को दे दिया गया।
मेधा पाटकर ने इसे “A Triumph of Justice' कहा ।
लालु यादव ने इसे सामाजिक न्याय कहा ।
CPM ,CPI ने इसे दबे कुचलों का क्रान्तिकारी जीत बताया ।
मेहनती चीटीं हारकर अमेरिका चली गई , अमेरिकी सरकार चीटीयों के मेहनत से प्रभावित होकर आसान शर्तों पर वीसा दे दिया, ये चीटीयाँ वहाँ सिलीकन वैली मे करोड़ों डालर की कम्पनियाँ बना ली।
और टिड्डा आज भी सरकारी सहायतों का मुँहताज बना हुआ है। सैकड़ों की संख्या मे टिड्डे आज भी मर रहें हैं। सरकारी विभाग आलसी टिड्डों से भर गये। बिना मेहनत किए उन्हें सब पाने की आदत जो हो गई है।
मेहनतकश चीटीयों अपने मेहनत का इस तरह अपमान और हजारों प्रकार के सरकारी टैक्सों के द्वारा लुटने के भय से बड़े पैमाने पर दुसरे देश चले गये या विभिन्न बड़े उद्योगपतियों के द्वारा उँची तनख्वाह पर ले लिए गये।
और हमारा भारत देश आज भी विकाशशील बना हुआ है।