Monday, November 15, 2010

Why Be A Hindu: The Advantages of the Vedic Path


A must read book written by an Englishman . We often criticise our rituals, cultures, old beliefs but never tried to dive into deep of these beliefs, Please click the link or just copy & paste it on your address bar of the browser. Each & every point has been elaborated nicely.

Why Be A Hindu: The Advantages of the Vedic Path

By    Stephen Knapp

Points of Consideration

http://hindujagrutinews.blogspot.com/2010/09/advantages-of-being-hindu.html

Each point has been elaborated  nicely.

1.   WHAT DOES HINDUISM STAND FOR?

 

2.   HINDUISM IS THE OLDEST LIVING CULTURE IN THE WORLD.

 

3.   THE VEDIC LITERATURE IS THE OLDEST AND MOST COMPLETE   SCRIPTURES FOUND ANYWHERE

 

4. THE VEDIC PATH HAS A MOST DEVELOPED AND COMPLETE SPIRITUAL PHILOSOPHY

 

5. THE VEDIC LITERATURE OFFERS MORE INFORMATION ON THE SCIENCE OF LIFE AFTER DEATH, KARMA AND REINCARNATION.

 

6. THE VEDIC PHILOSOPHY OFFERS A MOST COMPLETE UNDERSTANDING OF GOD AND THE SPIRITUAL DIMENSION.

 

7. HINDUISM AND THE VEDIC LITERATURE HAS MANY DIRECT WORDS AND INSTRUCTIONS FROM GOD

 

8. THE VEDIC PATH OFFERS THE MOST LOVING AND BEAUTIFUL  FORMS OF GOD.

 

9. THE VEDIC CULTURE HAS SOME OF THE GREATEST SPIRITUAL TEACHERS AND MASTERS THAT YOU CAN FIND

 

10.VEDIC CULTURE OFFERS A MOST DIRECT PATH TO PERSONAL SPIRITUAL REALIZATIONS AND ENLIGHTENMENT

 

11.BECAUSE HINDUISM IS ONE OF THE MOST EXPRESSIVE PATHS, IT IS ALSO ONE OF THE MOST EMOTIONALLY FULFILLING

 

12.HINDUISM, VEDIC CULTURE, OFFERS A SCIENTIFIC WAY OF LIFE, FROM DIET, LIFESTYLE, DAILY SCHEDULE, ETC.

 

13.ANYONE IN ANY POSITION CAN BE A HINDU AND PRACTICE AND BENEFIT FROM THE VEDIC TEACHINGS

 

14.THE VEDIC PATH VIEWS ALL RELIGIONS AS TRUTH, OR PORTIONS OF THE ONE TRUTH, AND WAYS OF SALVATION.

 

15.HINDUISM, VEDIC CULTURE, DOES NOT PRESENT GOD AS A HINDU, MUSLIM, CHRISTIAN, OR SIKH GOD.

 

16.THIS IS WHY HINDUS, THE FOLLOWERS OF THE VEDIC PATH, CAN LIVE PEACEFULLY WITH THOSE OF OTHER RELIGIONS.

 

17.HINDUISM HAS NO CONCEPT OF JIHAD, HOLY WARS, CRUSADES, OR MARTYRDOM ON ITS BEHALF.

 

18.FOLLOWERS OF VEDIC PHILOSOPHY DO NOT TARGET OTHERS FOR CONVERSION.

 

19.  HINDUISM ACCEPTS THAT EVERYONE HAS THE RIGHT TO CHOOSE ONE'S OWN PATH TO ENLIGHTENMENT OR SALVATION

 

20.HINDUISM OFFERS A UNIVERSAL GOD AND CONSCIOUSNESS, BEYOND A MERE LOCAL TRADITION

 

21.HINDUISM PROMOTES SEEING GOD IN ALL LIVING BEINGS

 

22.IN HINDUISM YOU CAN ASK ALL THE QUESTIONS YOU WANT WITHOUT BEING CONSIDERED A BLASPHEMER OR A DOUBTING PERSON

 

23.HINDUISM IS LIKE THE MILLION DOLLAR CULTURE.

 

24.THE VEDIC PROCESS OFFERS THE EASIEST PATH BACK TO GOD

 

25.HINDUISM ADVOCATES A UNIVERSAL RATHER THAN A SELF-CENTERED CONSCIOUSNESS

 

26.HINDUISM PROMOTES THE CAUSE OF REAL CARE AND CONCERN FOR OTHERS

 

27.WITH OR WITHOUT A CHURCH OR INSTITUTION, HINDUISM SHOWS AND ESTABLISHES THAT EVERYONE HAS A PERSONAL AND INDEPENDENT RELATIONSHIP WITH GOD, WHICH ONLY NEEDS TO BE REAWAKENED.

 

28.IN ESSENCE, HINDUISM, THE VEDIC SYSTEM, OPENS THE DOOR TO THE REAL MEANINGS OF LIFE.

For reading details of each point please click. just copy & paste in browser address bar. 

http://hindujagrutinews.blogspot.com/2010/09/advantages-of-being-hindu.html

सिर पर चोटी यानि कमाल का एंटिना

सिर पर चोटी यानि कमाल का एंटिना

सौजन्य http://religion.bhaskar.com/article/traditions-1234518.html

सिर पर चोटी यानि कमाल का एंटिना

एक सुप्रीप साइंस जो इंसान के लिये सुविधाएं जुटाने का ही नहीं, बल्कि उसे शक्तिमान बनाने का कार्य करता है। ऐसा परम विज्ञान जो व्यक्ति को प्रकृति के ऊपर नियंत्रण करना सिखाता है। ऐसा विज्ञान जो प्रकृति को अपने अधीन बनाकर मनचाहा प्रयोग ले सकता है। इस अद्भुत विज्ञान की प्रयोगशाला भी बड़ी विलक्षण होती है। एक से बढ़कर एक आधुनिकतम मशीनों से सम्पंन प्रयोगशालाएं दुनिया में बहुतेरी हैं, किन्तु ऐसी सायद ही कोई हो जिसमें कोई यंत्र ही नहीं यहां तक कि खुद प्रयोगशाला भी आंखों से नजर नहीं आती। इसके अदृश्य होने का कारण है- इसका निराकार स्वरूप। असल में यह प्रयोगशाला इंसान के मन-मस्तिष्क में अंदर होती है।

सुप्रीम सांइस- विश्व की प्राचीनतम संस्कृति जो कि वैदिक संस्कृति के नाम से विश्य विख्यात है। अध्यात्म के परम विज्ञान पर टिकी यह विश्व की दुर्लभ संस्कृति है। इसी की एक महत्वपूर्ण मान्यता के तहत परम्परा है कि प्रत्येक स्त्री तथा पुरुष को अपने सिर पर चोंटी यानि कि बालों का समूह अनिवार्य रूप से रखना चाहिये।

सिर पर चोंटी रखने की परंपरा को इतना अधिक महत्वपूर्ण माना गया है कि , इस कार्य को हिन्दुत्व की पहचान तक माना लिया गया। योग और अध्यात्म को सुप्रीम सांइस मानकर जब आधुनिक प्रयोगशालाओं में रिसर्च किया गया तो, चोंटी के विषय में बड़े ही महत्वपूर्ण ओर रौचक वैज्ञानिक तथ्य सामने आए।

चमत्कारी रिसीवर-

असल में जिस स्थान पर शिखा यानि कि चोंटी रखने की परंपरा है, वहा पर सिर के बीचों-बीच सुषुम्ना नाड़ी का स्थान होता है। तथा शरीर विज्ञान यह सिद्ध कर चुका है कि सुषुम्रा नाड़ी इंसान के हर तरह के विकास में बड़ी ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चोटी सुषुम्रा नाड़ी को हानिकारक प्रभावों से तो बचाती ही है, साथ में ब्रह्माण्ड से आने वाले सकारात्मक तथा आध्यात्मिक विचारों को केच यानि कि ग्रहण भी करती है।

गलती से भी बाल-नाखून न काटें, क्यों व किस दिन ?

परंपराएं, नियम-कायदे और अनुशासन आखिर क्या और क्यों हैं। आज के इस वैज्ञानिक युग में इन बातों का कोई महत्व या औचित्य है भी या नहीं, कहीं ये बातें अंध विश्वास ही तो नहीं हैं? दूसरे पहलू से सोचें तो क्या इन परंपराओं का इंसानी जिंदगी में कोई महत्वपूर्ण योगदान है? जब गहराई और बारीकी से अध्ययन और विश्लेषण करते हैं तो हम पाते हैं कि, अधिकांस परंपराओं और रीति-रिवाजों के पीछे एक सुनिश्वित वैज्ञानिक कारण होता है। किसी बात को पूरा का पूरा समाज यूं ही नहीं मानने लग जाता। अनुभव, उदाहरण, आंकड़े और परिणामों के आधार पर ही कोई नियम या परंपरा परे समाज में स्थान और मान्यता प्राप्त करते हैं। प्रात:जल्दी उठना, सूर्य व तुलसी को जल चढ़ाना, माता-पिता व गुरुजनों के चरण स्पर्श करना या तिलक लगाना , शिखा-जनेऊ धारण करना ..... आदि अनेक परंपराओं का बड़ा ही पुख्ता वैज्ञानिक आधार होता है।

बेहद महत्वपूर्ण और अनिवार्य परंपराओं व नियमों में बाल और नाखून काटने के विषय में भी स्पष्ट संकेत प्राप्त होते हैं। आज भी हम घर के बड़े और बुजुर्गों को यह कहते हुए सुनते हैं कि, शनिवार, मंगलवार और गुरुवार के दिन बाल और नाखून भूल कर भी नहीं काटना चाहिये। पर आखिर ऐसा क्यों?

जब हम अंतरिक्ष विज्ञान और ज्योतिष की प्राचीन और प्रामाणिक पुस्तकों का अध्ययन करते तो इन प्रश्रों का बड़ा ही स्पष्ट वैज्ञानिक समाधान प्राप्त होता है। वह यह कि शनिवार, मंगलवार और गुरुवार के दिन ग्रह-नक्षत्रों की दशाएं तथा अंनत ब्रह्माण्ड में से आने वाली अनेकानेक सूक्ष्मातिसूक्ष्म किरणें मानवीय मस्तिष्क पर अत्यंत संवेदनशील प्रभाव डालती हैं। यह स्पष्ट है कि इंसानी शरीर में उंगलियों के अग्र भाग तथा सिर अत्यंत संवेदनशील होते हैं। कठोर नाखूनों और बालों से इनकी सुरक्षा होती है। इसीलिये ऐसे प्रतिकूल समय में इनका काटना शास्त्रों में वर्जित, निंदनीय और अधार्मिक कार्य माना गया है।