Saturday, September 28, 2013

बैंको से प्राप्त व्याज पर आयकर असंगत और अमानवीय है।

आज  एक नौकरीपेशा व्यक्ति कितने प्रकार का टैक्स देता है। सबसे पहले वह मिलने वाले वेतन पर आयकर और पेशाकर देता है। आज की महगाई मे एक सामान्य नौकरी करने वाला व्यक्ति  वेतन से आयकर और प्रोफेसनल टैक्स की कटौती के बाद, दिन प्रतिदिन का खर्च, बच्चों की शिक्षाघर किराया, होउसिंग लोन के रिपेमेंट  आदि अति आवश्यक खर्चों के बाद कितना पैसा बचा पाता है। विशेषकर प्राईवेट मैनुफैक्चरिंग/इन्फ्रास्ट्रचर कम्पनियों मे मिडिल लेवल मे कार्य करने वाला व्यक्ति काफी मसक्कत के बाद, काफी आवश्यक खर्चों मे कटौती करने के बाद भविष्य के लिये कुछ पैसा बचा पाता है।
इस बचत को रखने के लिए हमारे पास कितना आप्सन है……
बैंक मे सावधि जमा (Fixed Deposit)
कम्पनियों के सावधि जमा
स्थानीय स्तर पर कार्य करने वाले चिटफंड कम्पनियों के जमा स्कीम
शेयर मे निवेश
म्युचुयल फंड मे निवेश
कम्पनियों के डिवेंचर

उपरोक्त सभी निवेश आप्सनों मे सबसे सरल और सुरक्षित बैंक का सावधि जमा है जिसमे एक बार करार होने पर , उतना पैसा बैंक निश्चित तौर पर मिलता है। इस निवेश पर निश्चित व्याज मिलता है हालांकि यह व्याज दर बाजार के मुल्यवृद्धि दर (Inflation Rate)  के आसपास या इससे कुछ कम ही होता है। यानी आपका पैसा यहाँ सिर्फ सुरक्षित रहेगा क्यों कि 3-5 वर्ष के वाद, आपके जमा रुपये के परिपक्वता मुल्य, मुल्यवृद्धि दर (Inflation Rate)   के समायोजन के बाद , वास्त्विक मुल्य से भी कम होगा। अभी भारत में मुल्यवृद्धि दर 11% से भी अधिक है, जब कि बैकों का अधिकतम व्याज दर 8-9% है, इसका आशय है कि 1000 रुपये जब हम बैक में जमा करते हैं, तो उसका मुल्य 8-9% वार्षिक की दर से बढेगा जब कि उसका मुल्य 11% की दर से ह्रास होगा, इस तरह इस 1000 रुपये का वास्त्विक मुल्य इसके आरंभिक मुल्य 1000 रुपये से भी कम हो जायेगा। अब जो आयकर के दायरे मे आते हैं उन्हें इस 8-9% के व्याज पर 10% से 30% तक आयकर भी कटेगा तब इसका वास्तविक व्याज दर मात्र  6-7% ही रह जाती है।

अब आइये साधारण बचत खाते कि बात करें, मध्यम आय और निम्न आय वर्ग के ज्यादातर लोग अपने पैसे को बचत खाते मे रखते  है ताकि आवश्यक होने पर आसानी से/ए टी एम से पैसे निकाल सके। वैसे भी बचत खाते मे न्युनतम राशि रखना अनिवार्य है। इस बचत खाते पर मात्र 4% वार्षिक व्याज दिया जाता है, इस अत्यन्त निम्न बचत आय पर भी आयकर देय होता है। यदि 20% आयकर मान लें तो वास्तविक आय मात्र 3,2% व्याज आय रह जाता है। आज की मुद्रास्फिति जब 11% है इस हालत आपके पैसे का मुल्य ह्रास 11-3,2=7,8% हुआ। जब हमारे बचत पर आय हुई ही नही तो आयकर कैसा।

आम वेतनभोगी आदमी अपने वेतन  पर आयकर , पेशाकर देने के बाद प्राप्त राशि से घर किराया, घर खर्च, बच्चों कि शिक्षा , मेडिकल आदि को काट कर  कितना बचा पता है,  उस बचत जो कि आयकर , पेशाकर देने के बाद बचाता है भविष्य के लिये उसपर प्राप्त व्याज पर टैक्स लेना न सिर्फ अमानवीय है, असंगत है।   

इसके विपरीत एक उदाहरण लें : एक उच्च आय वर्ग या उच्च मध्यम आयवर्ग का एक व्यक्ति अपने सरप्लस पैसे को म्युचुअल फंड या शेयर मे पैसा जमा करता है। मान लें एक व्यक्ति शेयर बाजार में 10000 रुपये जमा करता है, 5 वर्ष के वाद उसकी जमा राशि का मुल्य 3 गुना बढ जाता है। इस  तरह उसे 20000 रुपये का लाभ हुआ, इस आय पर कोई आयकर नहीं लगता क्योंकि यह लम्बी अवधि की पुजीं लाभ आय (Long  term capital gain ) की श्रेणी मे आयेगा। उच्च आय और उच्च मध्यम आय वर्ग के लोग आजकल रियल इस्टेट और शेयर/ म्युचुअल फंडो मे  निवेश करते है, ताकि उनकी कमाई पुरी तरह आय कर की नजर से बची रहे।  शेयर/ म्युचुअल फंडो से प्राप्त लाभांश पुरी तरह आयकर से मुक्त है। यह भी कहा जाता है कि म्युचुअल फंडो  का वार्षिक वृद्धि दर करीब 10%-15% की होती है। इस तरह बड़े और उच्च आय वर्ग के लोग अपने निवेश पर कमाई को आयकर की नजर से बचा लेते है और निम्न आय वर्ग/निम्न मध्यम आय वर्ग के लोग की छोटी व्याज आय जो कि वास्तव मे किसी भी तरह से आय नहीं माना जा सकता (मुद्रास्फिति के समायोजन के बाद) पर आय कर विभाग की टेढी नजर रहती है।  बैंक खुद स्त्रोत पर आयकर काट लेती है।


आप कह सकते है कि निम्न मध्यम आय वाले शेयर/ म्युचुअल फंडो मे क्यों नहींख़ निवेश करते है। शेयर/ म्युचुअल फंडो मे निवेश साधारण तरीके से नहीं किया जा सकता है और न ही आस्सानी से निकाला जा सकता है। इस कारण शेयर/ म्युचुअल फंडो मे निवेश मात्र 2% से 5% लोग ही कर पाते है।  आज म्युचुअल फंड के कुल जमा का 80-90% बड़े व्यापारिक घरानों का पैसा है और मात्र 10% से 20% राशि ही आम निवेशको का हैं।

आजकल उच्च आय वर्ग के लोग बैक मे अपना पैसा न रख कर , रियल एस्टेट/ जमीन व्यापार/सोना खरीद मे अपना पैसा लगा रहे है। यदि  आम व्यक्ति के लिये बैंक व्याज से प्राप्त आय पर आयकर जो कि पुरे आयकर का मात्र एक नाममात्र की राशि है को कर मुक्त कर दिया जाये तो बैकों के जमा राशि मे अप्रत्याशित रुप से कई गुणा बढ जायेगी जो अनंतोगत्वा देश के विकाश मे ही काम आयेगा। आयकर के डर से लोग अपना पैसा बैंक के ही लाकर मे छिपा कर रखते है, आज बैंक के ही लाकरो के लाखों करोड़ रुपये डेड असेट के रुप मे पड़ा है, उसका कुछ प्रतिशत  भी बाहर निकल सके तो बड़ी कामयावी होगी। इस तरह मात्र कुछ  बैंक से प्राप्त व्याज को आयकर मुक्त  कर इसके करोड़ो लोगो को लाभ पहुँचाया जा सकता है, और इसका प्रत्यक्ष लाभ देश को मिलेगा, लाकरों मे जमा ब्लैक मनी का बड़ा अंश बाहर आ जायेगा।


इस तरह हम मानते  है कि किसी आम आदमी के  बैंक मे जमा राशि के उपर व्याज आय पर आयकर लगना एक बहुत ही  असंगत  और अमानवीय लगता  है। आयकर किसी आय पर लगता है, जबकि बैंक मे जमाराशि पर प्राप्त व्याज तो आय की श्रेणी मे रखना अप्रासंगिक लगता है क्यों कि प्राप्त व्याजदर, मुल्यवृद्धि दर (Inflation Rate)  से काफी कम है, इस तरह  मुल्यवृद्धि दर (Inflation Rate) को समायोजित करने पर जमाराशि के मुल्य मे वास्तविक रुप से ह्रास ही हुआ है।

बैक जमा कर मिलने वाला व्याज पुरी तरह आय कर मुक्त होना चाहिये। हाँ  यदि कोई कम्पनी/कारपोरेट घरानें अपना पैसा बैंक मे रखती है तो उस पर मिलने वाले व्याज पर टैक्स लिया जाना चाहिये।