Thursday, January 20, 2011

“ढेर जोगी मठ उजाड़”


ढेर जोगी मठ उजाड़

ढेर जोगी मठ उजाड़ यह बहुत ही पुरानी कहाबत है। पर है बिल्कुल सत्य , देखिए हमारा केन्द्रीय मंत्रिमण्डल जिसमे भारत के अच्छे और तथाकथित सर्वाधिक विद्वान प्रधानमंत्री श्री मनमोहन, गृह मंत्री श्री पी चिदम्बरम , वित्त मंत्री प्रनव मुखर्जी आदि आदि पर भारत के नागरिक विश्व के सबसे अधिक मंहग़ाई से त्रस्त हैं। सभी किताबी ज्ञान के जानकार, वातानुकुलित कमरे मे हाय फाय

विद्यार्थियों के बीच अर्थव्यवस्था पर , ईकोनोमी पर लम्बी चौड़ी भाषण देने बाले ये नेतागण वास्तविकता की स्थिति मे चारों खाने चित्त हो जाते है। दुनिया के किसी भी देश में इतनी मंहगाई नहीं है क्यों कि दुनिया के किसी भी देश मे इतने विद्वान मंत्री नहीं है।

2009 मे अचानक चीनी की कीमत बढ जाती है और पुरे देश मे बेचारे छोटे छोटे खुदरा

व्यापारियों के यहाँ छापे डाले गये परन्तु नासिक या महाराष्ट्र के चीनी मिलों को क्लीन चिट दे दी गई पुन: दो तीन महीने मे ही चीनी के दाम मे गिरावट आ गई और इन दो तीन महीने मे हमारे माननीय कृषि मंत्री जी का चीनी मिल करोड़ों बना लिए और जनता तो सोनिया जी कठ्पुतली प्रधानमंत्री जी के वायो-डाटा देखकर मंत्र्मुग्ध होने लगी।

2010 मे प्याज के दाम चीनी और दाल के दाम मे उछाल को को चिढाते हुए आजतक के सबसे ऊँचे पायदान पर पहुँच गया। हमारे कृषि मंत्री कहते हैं कि मौसम के खराबी के कारण प्याज की उपज कम हुई, तब आपके कृषि उपज, आदि का आकलन करने वाले सो रहे थे क्या, और यदि उपज के कम की आशंका थी तो प्याज को अक्टुवर महीने तक निर्यात क्यों किया गया, चुकिं सबसे अधिक प्याज नासिक से आता है और उनके व्यापारी माननीय शरद पवार जी के प्रिय हैं, तो उनके लिए इतना तो किया ही जा सकता है।

याद कीजिये 1990 का दशक , नरसिंहा राव जी के मंत्रीमंडल मे मनमोहन सिंह जी को वित्त मंत्री बनाया गया था। भारत के aअर्थव्यवस्था को U टर्न दे दिया गया बिना इसका परिणाम के आकलन किए, इसका अंजाम हुआ कि ढेर सारे प्लांटेशन कम्पनियों को लाइसेन्स दे दिया गया, अनेको गैर बैकिंग वित्तीय कम्पनियाँ (NBFC) कुकुरमुत्ते जैसे पुरे भारत मे छा गये, उनके उपर कोई कड़े नियम परिनियम और कानुन के अभाव में भारत की मेहनतकश गरीब पब्लिक का लाखों करोड़ रुपये ये लोग डकार लिए और निरीह जनता अपने पैसे को लुटते देखते रही। JVG, आदि कन्पनियाँ उसी दौर मे थी। यानी वित्त मंत्री ने आम जनता को उन जालसाजों के हाथों लुटने के लिए ही खुली, पर बिना ब्रेक के अर्थव्यव्स्था लागु की थी।

इस बार वे प्रधानमंत्री है और फिर आम जनता को लुटने के लिए बाजार को बिना

किसी ब्रेक के खुली छुट दे दी है, मंहगाई तो बढेगी ही। गरीबों के लिए अति आवश्यक सामानों के लिए भी वायदा व्यापार , कमोडिटी मार्केट को खोल दिया गया है, इसका असर कुछ दिन पहले हुआ था, देखते ही देखते हल्दी की कीमत 40-50 रुपये से बढ कर 200 रुपये किलो हो गई थी।

दरअसल श्री मनमोहन सिंह बिना चुनाव लड़े ही वित्त मंत्री और प्रधान मंत्री बन गये कांग्रेस कि सुप्रिमो के रहमोकरम पर तब वे तो सिर्फ अपने आका के लिए ही काम करगें आम जनता ने तो उन्हें MP भी नहीं बनाया तो आम जनता से उन्हें क्या मतलब्।

शरद पवार जी सिर्फ महाराष्ट्र के ही हैं अत: वे सिर्फ महाराष्ट्र के व्यापारियों और किसानों के हित का ही सोचते हैं और उससे समय मिलता है तो क्रिकेट में समय देते हैं। अरबपति हैं मात्र 50-100 रुपये प्रतिदिन कमाने बाली जनता भी उन्हें अमीर लगती हैं। अमेरिका मे पढे लिखे ये अर्थशास्त्री आज अमेरिका की भाषा बोलने लगे कि विकाशशील देशों के गरीब ज्यादा खाने लगे हैं जिससे दुनिया में खाध्यान्न की कमी हो गई है।