Wednesday, April 14, 2010

जाली नोटों से बचने के लिए ये सावधानी बरतें

जाली नोटों से बचने के लिए ये सावधानी बरतें
राकेश सिंह को अपने पड़ोस के एटीएम से 500 रुपए का एक जाली नोट मिला। उन्हें इसके नकली होने का पता एक कॉफी शॉप में बिल का भुगतान करने के दौरान लगा। राकेश उस कॉफी शॉप में अक्सर जाते थे और इसी वजह से दुकान के मालिक से उनसे पूछताछ नहीं की, लेकिन उनके लिए उस नोट से छुटकारा पाना आसान नहीं था, यहां तक कि बैंक से भी उन्हें निराश ही लौटना पड़ा।

राकेश ने एटीएम से रकम निकालते समय मिनी स्टेटमेंट भी ली थी जो इस बात का सबूत थी कि उन्होंने रकम निकाली है, लेकिन स्टेटमेंट से यह साबित नहीं हो सकता था कि वह जाली नोट उस बैंक के एटीएम से ही मिला था। अंत में राकेश को उस नोट की रकम से हाथ धोना पड़ा। इस बारे में बैंकरों का कहना है कि उनके लिए सही और गलत ग्राहक की पहचान आसान नहीं होती।


ऐसी स्थिति से बचने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों से कैश काउंटर पर करेंसी सॉर्टर लगाने को कहा है। इसके साथ ही एटीएम में बैंक के कर्मचारी द्वारा नकदी रखने के बजाय कैसेट स्वाइप सिस्टम का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया गया है।

आम जनता विशेष उपकरणों की मदद से जाली नोटों की पहचान कर सकती है। अल्ट्रावायलट (यूवी) लाइट की मदद से आप जाली नोट की पहचान कर सकते हैं। जाली नोट में ऑप्टिकल फाइबर की संख्या कम होती है। एक अनुभवी कैशियर 1,000 रुपए के नोट को छूकर ही उसके असली या नकली होने का पता लगा लेता है। यूवी लाइट के जरिए नोट की छपाई का वर्ष देखकर भी असली या नकली होने का पता लगाया जा सकता है। यह वर्ष नोट के मध्य और पिछले भाग में नीचे की ओर दिखना चाहिए।

बहुत से छोटे कारोबारियों का पूरा व्यापार नकदी पर ही टिका होता है। बैंकरों का कहना है कि ऐसे लोगों के लिए करेंसी सॉर्टर एक अच्छा उपाय है। इनकी कीमत 2,000 रुपए से एक लाख रुपए के बीच होती है। ऐसा नोट सॉर्टर खरीदना अच्छा रहता है जो नोट में सुरक्षा के सभी फीचर की पहचान कर सकता है।

एक प्राइवेट बैंक में रीटेल बैंकिंग के प्रेसिडेंट ने बताया, 'बाजार में उपलब्ध ज्यादातर सॉर्टर केवल कुछ फीचर की पहचान ही कर पाते हैं। उदाहरण के तौर पर इनके जरिए आप पेपर की क्वालिटी या वॉटरमार्क की आसानी से पहचान कर सकते हैं, लेकिन इनसे सिक्योरिटी थ्रेड या माइक्रो लेटरिंग में गड़बड़ी का पता लगाना मुश्किल होता है। खासतौर पर उस समय जब नकदी एक लाख रुपए या इससे भी ज्यादा होती है।'

अब वेंडर ऐसे करेंसी सॉर्टर उतारने की कोशिश में हैं जो भारतीय करेंसी नोटों के सभी सिक्योरिटी फीचर्स की पहचान कर सकें। अब यह समय ही बताएगा कि ये सॉर्टर जाली नोटों की संख्या में कमी लाने में कामयाब होते हैं या नहीं। 2008-09 में लगभग 3.98 लाख जाली नोट पकड़े गए थे। इनमें से अधिकतर बैंकों के जरिए चलन में आए थे।

जाली नोट मिलने पर क्या करें

अगर आपको किसी एटीएम से कोई जाली नोट मिलता है तो आप उस बैंक की शाखा में जाकर वह नोट बैंक अधिकारी को सौंप दें। वह नोट के जाली होने की बात साबित होने के बाद इसे जब्त कर लेंगे और आपको इसकी रसीद दी जाएगी। दुर्भाग्य से आरबीआई या किसी अन्य प्रशासनिक संस्था ने ऐसी स्थिति में समाधान का कोई रास्ता नहीं दिया है। आप केवल अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

अगर आपको जाली नोट के स्त्रोत की जानकारी नहीं है, तो भी आप किसी भी बैंक की शाखा में जाकर लिखित में जानकारी देने के साथ नोट को जब्त करवा सकते हैं। अगर आपके पास पांच से ज्यादा जाली नोट पाए जाते हैं तो पुलिस तुरंत इसकी जांच शुरू कर देगी। इसमें आपको ऐसे नोटों के स्त्रोत के बारे में पूरी जानकारी देनी पड़ सकती है। ऐसा करने पर आप कानून के शिकंजे में सकते हैं।

प्रत्येक माह के अंत में प्रत्येक बैंक उन सभी जाली नोटों की एक एफआईआर दर्ज कराता है, जो उसे पूरे महीने के दौरान मिले हैं।

इन दिनों जाली नोट मिलने के मामले काफी बढ़ गए हैं। जाली नोट आमतौर पर 500 या 1,000 रुपए के होते हैं। अगर आपके पास इस तरह का कोई नोट आता है तो उसकी रकम का नुकसान होना तय है क्योंकि इसके बदले में आपको कोई असली नोट नहीं देगा। ऐसी स्थिति से बचने के लिए नकदी लेने के समय प्रत्येक नोट को ध्यान से देखें और उसके सुरक्षा मानकों की पहचान करने की कोशिश करें।


No comments:

Post a Comment